वो बात करो पैद
वो बात करो पैदा तुम अपनी जुबांनो में
दुनिया भी कहें कुछ है, इन भीम दिवानों में
॥ धृ ॥
गर भीम नही होते, हम आज कहां जाते
जुल्मों में पले है हम उभरे है तुफ़ानों में
वो बात करो पैदा तुम अपनी जुबांनो मे
॥ १ ॥
बहेकाएगा क्या कोई शैतानों को
हम आग लगा देंगे बर्फ़िली चट्टानों में
वो बात करो पैदा तुम अपनी जुबांनो मे
॥ २ ॥
हक अपना बराबर हम अब छिनके लेलेंगे
है आज ये ताकद बुढों में जवानों में
वो बात करो पैदा तुम अपनी जुबांनो में
॥ ३ ॥
छोटे को गीराओ ना, नजरों से बडे लोगों
हिरे भी निकलते है, गीट्टी कि खदानों में
वो बात करो पैदा तुम अपनी जुबांनो में
॥ ४ ॥
कवि : छोटे बाबु कव्वाल
गायक : प्रकाशनाथ पाटणकर
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